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चाँदनी चौक में होगा कार्यक्रम,होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के जनक डॉ. सैम्युअल हैनिमेन की जयंती

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चाँदनी चौक में होगा कार्यक्रम,होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के जनक डॉ. सैम्युअल हैनिमेन की जयंती

दिल्ली/मीडिया18न्यूज़

आइडियल होम्योपैथिक फाउंडेशन द्वारा उपरोक्त कार्यक्रम का आयोजन 16 अप्रैल 2023 को किया जाना है जिसमें होम्योपैथी जागरूकता सप्ताह की शुरुआत फाउंडेशन व उसके सहयोगियों द्वारा की जानी है,इस कार्यक्रम के प्रायोजक है एडविन बायोटेक प्रा लि, ऐलेन होम्योपैथी,भार्गव लैब प्रा लि,लॉर्ड्स लैबोरेटरी,आर ई पी एल,सिमिलिया लैबोरेटरी, लोटसइमेज हेल्थकेयर(इंडिया) और विशेष सहयोगी हैं,कार्यक्रम का गीतांजलि हॉल, दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी में किया जाएगा होम्योपैथिक जागृति सप्ताह 10 से 16 अप्रैल तक मनाया जाएगा कार्यक्रम में सामयिक होम्योपैथिक विषयों पर चर्चा होगी इसके अलावा रंगारंग कार्यक्रम भी पेश किया जाएगा कार्यक्रम के सहयोगी क्रमशः इंसा होमियोपैथिक फार्मेसी, के डॉ. अमित मिश्रा,हिमांशी होम्योपैथिक स्टोर ,आशा होम्योपैथिक फार्मेसी, मिहिर होम्योपैथिक फार्मेसी,सैगल्स होमियोपैथी स्टोर,बालाजी होमियोपैथी स्टोर आदि हैं जो इस व्यवसाय और सेवा से जुड़े हैं उपरोक्त कार्यक्रम में दिल्ली एवं आसपास के महत्वपूर्ण सामाजिक गणमान्य विशिष्ट व्यक्ति भी मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे

होमियोपैथी वास्तव में 1790 के दशक में सैमुअल हैनिमैन नामक एक जर्मन डॉक्टर द्वारा विकसित विचारों की एक श्रृंखला पर आधारित है।

महेंद्र लाल सरकार पहले भारतीय थे जो होम्योपैथिक चिकित्सक बने थे ,श्री सरकार के नेतृत्व में कई एलोपैथिक डॉक्टरों ने होम्योपैथिक अभ्यास शुरू किया। ‘कलकत्ता होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज’, पहला होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज 1881 में स्थापित किया गया था।

होम्योपैथी एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, जिसमें स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज की विचारधारा, मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम से पूरी तरह से अलग है। होम्योपैथिक चिकित्सा के अनुसार शरीर में खुद को ठीक करने की क्षमता होती है और बीमारी से होने वाले लक्षण वास्तव में शरीर द्वारा फिर से स्वस्थ होने के लिए किया गया प्रयास है। उपरोक्त कार्यक्रम से होम्योपैथी के संबंध में कितने व्यक्तियों एवं समाज में होम्योपैथी की जागरूकता चलती है यह देखना बाकी है लेकिन इस प्रकार के कार्यक्रमों से लोग जागरूकता आवश्यक होते हैं यह मानना पड़ेगा इस प्रकार के कार्यक्रम केवल होम्योपैथी में नहीं अन्य चिकित्सा पद्धति में भी होने चाहिए जिससे दवाओं एवं इलाज के तरीके में कोई भी अनभिज्ञता समाज में ना रहे समाज का साधारण व्यक्ति भी आसानी से इलाज के तौर-तरीकों को समझ सके◆◆◆

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