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अवैध मजारों पर हो रही है लगातार कार्रवाई

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भजनपुरा,स्थित एक मज़ार-

दीपक शर्मा/दिल्ली

उत्तराखंड की तर्ज पर दिल्ली में भी है मजारों का गोरख धंधा जी हां उत्तराखंड में अवैध रूप से मजारे बनाने का धंधा जोरों पर है जब कुछ मजारों की छानबीन की गई उनके अवैध निर्माणों को ध्वस्त किया गया तो एक चौंकाने वाला मामला सामने आया उपरोक्त मजारों में कोई मानव अवशेष है,ही नहीं अर्थात जिस हजरत या बुजुर्ग आदि पीर की परिकल्पना के साथ उपरोक्त स्थान को जोड़ा जाता है वह वास्तव में वहां है ही नहीं केवल एक झूठ और गोरख धंधा वहां से लाभ लेने वालों के लिए वहां होता है वास्तव में पहले लोग जगह को चिन्हित करते हैं उसके बाद उस जगह में चार और चूना लगाकर छोड़ देते हैं जब आसपास वहां कोई भी व्यक्ति आपत्ति नहीं करता तो वहां उस निर्माण को पक्का कर देते हैं और फिर कब्र की शक्ल देख कर वहां मजार आदि दिखाई जाती हैं ,उसके बाद वहां उर्फ यानी छोटा-मोटा मेला या दुकाने सजा दी जाती है ,इस प्रकार फिर उसके प्रचार में आसपास के लोगों को लगाया जाता है जैसे कि कुछ लोगों को कहा जाए कि जाओ जाकर वाला पीर पर सेवा करो तो वहां इस प्रकार के कुछ अंधविश्वासी यह कमजोर विश्वास के लोग आना जाना शुरू कर देते हैं और इस कारण इस गोरखधंधे को फलने फूलने का अवसर मिल जाता है हालांकि एक बड़ी संख्या में मुस्लिम धड़ा खुद इन मजारों की खिलाफत करता है ,यानी विरोध करता है लेकिन अधिकांश पीर फकीर के नाम पर इससे समर्थन करता है अब उत्तराखंड मैं इस प्रकार के अवैध मजारों को जो वन विभाग या अन्य प्रकार के विभागों की जमीनों पर अवैध रूप से बने हुए हैं को ध्वस्त करने की कार्यवाही उत्तराखंड सरकार ने शुरू कर दी है इसी प्रकार दिल्ली में भी कुछ समय पहले गौरतलब है कि एक फ्लाईओवर पर मज़ार बना हुआ था ,लोगों का कहना था कि मजार अगर होता तो जमीन पर होता फ्लावर के ऊपर किसी को दफनाया ही नहीं गया तो फिर मजाक क्यों ,हालांकि इस बात पर बहुत विवाद हुआ था और एक एसएचओ साहब भी लाइन हाजिर हो गए थे वास्तव में समाज को स्वयं को खुद ठीक करना होगा आवश्यक गतिविधियों को समर्थन अवश्य करें लेकिन अब अनावश्यक आडंबरओं को कतई भी इजाजत नहीं देनी चाहिए ,क्योंकि फिजूल बातों से समाज केवल दूषित ही होता है उसके नतीजे में व्यर्थ का ज़हर ही पनपता है भाईचारा और मोहब्बत नहीं !इसलिए समाज में अपने आसपास सभी को ख्याल रखना चाहिए, की अनावश्यक गतिविधि इस प्रकार की नहीं पनपने चाहिए जिससे कि कोई द्वेष पैदा होता हो बल्कि सामाजिक अथवा सामूहिक कार्यों में एक दूसरे को सहयोग करना चाहिए◆◆◆

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