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नवरात्रि में नारी के नौ स्वरूपों की यादगार का पर्व है। चैतन्य देवी मां जगदंबे की अद्भुत झांकी

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पचोर।प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में चैतन्य देवी मां जगदंबे की झांकी बनाई गई जिसमें सूरज प्रकाश गुप्ता, गिरिराज पाटीदार, डॉ. बी. के. अग्रवाल, हरिसिंह मेवाडा , सेवा केंद्र प्रभारी बीके वैशाली दीदी, संस्था के सभी सदस्यगण उपस्थित रहे।दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया तथा माता की पूजन अर्चना कर आरती उतारी गई।ब्रह्माकुमारी मोनिका दीदी ने नवरात्रि का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए प्रथम दिवस मां शैलपुत्रि का आवाहन किया जाता है जिसका भावार्थ है स्थिरता और धैर्य की शक्ति पवित्र कन्या इसलिए नवरात्रि में कन्या पद पूजन किया जाता है, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप में पूजन होता है। तप आत्म संयम की शक्ति का प्रतीक।जब कन्या अपने पवित्र स्वरूप में रहती है तब समाज में कहीं जगह आज भी कन्या विवाह का प्रचलन है अर्थात हम उनकी तपस्या को भंग करते हैं, यह पुण्य का कार्य नहीं बल्कि पाप का काम है, उसके अगले दिन मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है जब कन्या अपने किशोरावस्था में पहुंचती है, तो वह चंद्रमा की तरह संपूर्ण कलाओं में निपुण होती है यह मां चंद्रघंटा का स्वरूप हैचौथे दिन मां कुष्मांडा के रूप की पूजा होती हैकन्या विवाह उपरांत संपन्न संपूर्ण कलाओं में निपुण होती है तो उसके सामने बुरी शक्तियां भी दूर भाग जाती है। मां कुष्मांडा सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती है। पंचम दिवसस्कंदमाता की आराधना होती है। जो प्रेम और भारत रत्न की शक्ति प्रदान करती है। पूरे परिवार को जोड़े रखने में नारी का बहुत बड़ा सहयोग होता है सबसे मिलनसार रहकर परिवार को जोड़े रखती है। अगले दिवस पर मां कात्यायनी का आह्वान किया जाता है जो साहस और निर्भरता की शक्ति का प्रतीक है , सद्गुणों से भरपूर होती है,नारी के अंदर सकारात्मक प्रभाव से हर समस्या का समाधान होता हैसातवें दिवस कालरात्रि की आराधना की जाती है। नकारात्मकता को समाप्त करने की शक्ति का प्रतीक है, मां कालरात्रि विपत्ति आने पर अपना रोद्र रूप धारण करती है। ऐसे ही नारी जब अपने परिवार को बचाने के लिए कभी-कभी रोद्र रूप धारण करती है, अर्थात नकारात्मकता को समाप्त करने का कार्य करती है।उसके अगले दिन मां गौरी की पूजा की जाती है पवित्रता और निर्मलता की शक्ति का प्रतीक।मां गौरी अर्थात तपस्वी रूप नारी भी अपने तपस्वी जीवन से अपने परिवार और बच्चों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर देती है। अगले दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है जब नारी अपना पूरा जीवन परिवार के लिए समर्पित कर देती है तपस्वी जीवन से अनेको सिद्धियां प्राप्त कर इस संसार से प्रयाण कर जाती है तो अपने परिवार के लिए दुआए और खूब सारा आशीर्वाद देकर जाती है।यह नवरात्रि में जो देवियों की पूजा होती है ये हम नारियों का ही यादगार है। इस नवरात्रि पर हम सभी नारियां अपने अंदर की शक्तियों को जागृत करें और सच्चे अर्थों में नवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाये। एवं सभी अतिथि ने नवरात्रि के शुभकामनाएं व्यक्त किया सेवा केंद्र प्रभारी सभी का आभार प्रकट किया एवं सुंदर झांकी के साथ प्रसाद वितरण किया गया।

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