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आत्मा ड्रेस और एड्रेस बदलकर भिन्न-भिन्न अभिनय इस सृष्टि रूपी रंगमंच पर कर रही हैं – योगशक्ति सुरेखा दीदी

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रिपोर्ट: हरीश कुमार मुंदेरिया/प्रदेश ब्यूरो चीफ मध्य प्रदेश

पचोर, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा 5 दिवसीय गीता ज्ञान प्रवचन ग्राम सेमली धाकड़ में योग शक्ति सुरेखा दीदी के सानिध्य में द्वितीय दिवस पर ग्रामीण सरपंचो द्वारा दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।जिसमें नरेंद्र पुष्पद,प्रकाश मेवाड़ा, रमेश धाकड़,भागीरथ नगर,कमल वर्मा आदि उपस्थित हुए। सुरेखा दीदी ने अपने मुखारविंद से गीता प्रवचन के दूसरे दिवस पर आत्मज्ञान को परिभाषित करते हुए कहा कि आत्मा ड्रेस और एड्रेस बदलता है, आत्मा यहां पर नाटक करने के लिए आई है स्त्री, पुरुष का ड्रेस पहन कर भिन्न-भिन्न अभिनय सृष्टि रूपी नाटक मंच परकर रहीहै।यह आत्मा शाश्वत ,पुरातन ,सनातन है ,जिसको हवा सुखा नहीं सकता, पानी गिला नहीं कर सकता, आग जला नहीं सकता।

शस्त्र काट नहीं सकता जन्म शरीर का होता है, तो मृत्यु भी शरीर की होती है लेकिन आत्मा अमर है ,अविनाशी है ,ज्योतिबिंदु है, शरीर में आत्मा भृकुटी के बीच में निवास करती है।उन्होंने महाभारत का वर्णन करते हुए कहां की भगवान ने काम, क्रोध , लोभ को नर्क का द्वारा बताया है।और आज का मनुष्य इन्ही विषय विकारों में गोते खा रहा है। भगवान इनसे युद्ध करने के लिए अर्जुन से कह रहे हैं की इन विकारों का त्याग कर तू मेरी शरण में आजा ।अपने को आत्मा समझ एक मुझे याद कर तो मैं तुझे सर्व पापो से मुक्त कर दूंगा। भगवान अर्जुन से इन विकारों रूपी शत्रुओं से लड़ने की बात गीता में कह रहे।यहां अहिंसक युद्ध की बात हो रही है ना कि हिंसक।उन्होंने आगे कहा कि मनुष्य का जब कोई अपना परिजन शरीर का त्याग करता है तो शोकपत्र में स्वर्गवासी लिखवाता है , जबकि जीवन भर काम ,क्रोध, लोभ ,मोह, अहंकार विषय विकारों में गोते तो वह यही खा रहा है,भला वह मनुष्य स्वर्ग में कैसे जा सकता है, स्वर्ग में जाने के लिए तो मनुष्य को विकारों को त्यागना पड़ेगा।तब ही मनुष्य देवत्व को प्राप्त कर सकता है अर्थात स्वर्ग की प्राप्ति कर सकता है।गीता प्रवचन में सुरेखा दीदी ने सभी को आत्मा अनुभूति कराई।सभी ग्रामीण जन गीता प्रवचन का लाभ लेकर पुण्य अर्जित कर कर रहे हैं।

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