
नारद जयंती पर बोले अतिथि: नैतिकता का पाठ और जनकल्याण ही असली पत्रकारिता सरस्वती शिशु मंदिर पचोर में आचार्य प्रशिक्षण वर्ग के बीच शनिवार को देवऋषि नारद जयंती मनाई गयी. कार्यक्रम में मंचासीन अथितियों ने नारद ऋषि के जमाने से शुरू हुई पत्रकारिता से लेकर आजतक चली आ रही पत्रकारिता का उद्देश्य मंच से बताया। वहीं कार्यक्रम में पचोर के पत्रकारों का अंग वस्त्र और मां सरस्वती का चित्र भेंटकर केशव शिक्षण संस्थान ने सम्मान किया।

शनिवार को दोपहर केशव शिक्षण संस्थान में चल रहे विद्या भारती मध्यभारत प्रान्त के 15 दिवसीय आचार्य सामान्य प्रशिक्षण वर्ग कार्यक्रम के बीच नारद जयंती मनाई। मंच से कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विद्या भारती के प्रांतीय प्रमुख रामकुमार भावसार, मंचासीन अतिथि मोहनलाल नागर, गुरुचरण गौड़ और माखन विजयवर्गीय रहे. कार्यक्रम में श्री भावसार ने सरस्वती शिशु मंदिर की गतिविधि बताते हुए कहा की देश में लक्ष्यदीप को छोड़कर सभी राज्यों में विद्या भारती संस्थान अपनी स्थानीय समितियों के सहयोग से नगरीय क्षेत्रों में 15 हजार से अधिक मान्यता प्राप्त सरस्वती शिशुमन्दिर संचालित किए जा रहे है वहीं इतने ही गैर मान्यताप्राप्त संस्कार केंद्र संचालित है जहां भारतीय इतिहास और नैतिकता का पाठ पढ़ाने के साथ भारतीय संस्कार देने का काम संस्थान कर रहा है। पत्रकार विजयवर्गीय ने उदबोधन में कहा की नारायण नारायण करते करते पहले पत्रकार नारद ऋषि की भाँती जनकल्याण ही असली पत्रकारिता है। उस जमाने में धरतीलोक के मानवो की पीड़ा सुनकर देवलोक में देवताओं से उसका हल लेकर पुनः जनता को बताना और उनकी समस्या दूर करना. इन्ही कारणों से देवऋषि नारद को पहला पत्रकार कहा जाता है. आजादी के पहले मैकाले ने हमारी शिक्षा पर हमला कर भारतीय शिक्षा पद्धति को खत्म कर दिया. लेकिन जिस तरह से मां सरस्वती के पुत्र नारद के हाथ में वीणा है उसी तरह वीणा का चिन्ह लिए सरस्वती शिशु मंदिर ने सन 1952 से भारतीय संस्कार और नैतिक शिक्षा का पाठ देश में पढ़ाया है. कार्यक्रम में राजेश भारतीय, मनमोहन गुरगेला, राधेश्याम नागर, दिलीप कुशवाह, संजय राठौर, हरीश मुंदरिया, जगदीश नागर, फूलचंद महावर, सहित अन्य पत्रकारों का सम्मान मंच से अथितियों द्वारा किया गया।