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देहअभिमांन को त्याग कर स्वयं को आत्मिक स्वरूप में स्थित करेंगे तभी स्वयं की और दूसरों की सच्चे अर्थों में रक्षा होगी – ब्र. कु. मधु दीदी

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ब्रह्माकुमारीज के परमात्म अनुभूति भवन में हुआ रक्षाबंधन समारोह का कार्यक्रम,

पचोर।प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के द्वारा रक्षाबंधन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर क्षेत्रीय सांसद रोडमल नागर, बीके मधु दीदी, हनुमान प्रसाद गर्ग, सीताराम लहरी अशरफ कुरेशी, दिलीप कुशवाह, डा.बीके अग्रवाल,सूरज सिंह राजपूत एवम पत्रकार गण आदि उपस्थित रहे। दीप प्रज्वलंन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।ब्र.कु. मधु दीदी ने रक्षाबंधन का महत्व बताते हुए कहा कि आज स्वयं ही दुर्व्यसनों में फंसा हुआ मनुष्य दूसरों की क्या रक्षा करेगा। हम धर्म की बातें तो करते हैं ,धार्मिक भी बनते हैं लेकिन धर्म के मार्ग पर चलने से कतराते हैं, राम के चरित्र की बातें तो करते हैं लेकिन राम का आचरण नहीं अपनाते हैं।गीता में भगवान कहते हैं काम ,क्रोध यह नरक के द्वार है, लेकिन फिर भी मनुष्य कहते हैं कि उनके बगैर संसार नहीं चलता भगवान की बात को भी स्वीकार करने की शक्ति नहीं है।जब मनुष्य कामी हो जाता है तो उसकी दृष्टि भी वासनाओं से भरी होती है अपनी बहन को बहन स्वीकार करता है, लेकिन दूसरों की बहनों के लिए कुदृष्टि हो जाती हैमनुष्य स्वयं ही काम, क्रोध ,लोभ मोह ,अहंकार में फंसा हुआ तो वहां दूसरों की रक्षा कैसे कर सकता है। और इन सब का कारण है दैहिक स्वभाव।देह अभिमान के कारण मनुष्य पाप कर्म करते जा रहा है, जिसके कारण स्वयं को परिवर्तन करने में सक्षम नहीं है।जब वह स्वयं को आत्म स्वरूप में स्थित करेगा और दूसरों को भी आत्म स्वरूप में देखेगा तो उसके जीवन मे जरूर परिवर्तन आएगा।और यह सब होगा आध्यात्मिक ज्ञान से। रोडमल नागर ने कहा कि मनुष्य को सदाचारी होना चाहिए, इस समय पूरी दुनिया की हवा खराब है क्योंकि हमें लगता है की सारी दुनिया बुरी है लेकिन जब मैं स्वयं अपनी संस्कृति और संस्कार के अनुरूप कर्म करूंगा तो मेरी दृष्टि में पूरी दुनिया वसुदेव कुटुंबकम के रूप में नजर आएगी।यानी इस समय स्वयं की दृष्टि ,वृत्ति खराब है इसलिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं हमें स्वयं को बदलना होगा तभी जीवन बदलेगा और सच्चे अर्थों में हमारी रक्षा होगी।

दिलीप कुशवाह ने बताया कि एक रक्षाबंधन प्रकृति को भी बांधना चाहिए। क्योंकि हमारे जीवन में जल ,पेड़ पौधे बहुत आवश्यक है। हमें पेड़ पौधे लगाना चाहिए और उनका संरक्षण करना चाहिए।सीताराम लहरी ने रक्षाबंधन की शुभकामनाएं अर्पित की ।अशरफ कुरेशी ने कहा कि इस संस्थान में आने से मेरे व्यक्तित्व का विकास होता है , दीदियो वचनों से मैं बहुत प्रभावित हु।डॉ बी के अग्रवाल में कहा कि योग ,प्राणायाम के साथ-साथ ध्यान करना भी आवश्यक है। ध्यान करने से आत्मा की शक्ति बढ़ेगी।हनुमान प्रसाद गर्ग ने कहा कि हमें कुरीतियों ,कुविचारों से दूर रहना है, और अच्छे समाज के लिए स्वयं में परिवर्तन लाना है।आभार गिरिराज पाटीदार ने किया।ब्र. कु. सुमित्रा दीदी ने रक्षाबंधन की प्रतिज्ञा करवाई। ब्रह्माकुमारी बहनों ने रक्षासूत्र बांधे तथा ईश्वरीय कार्ड भी दिया गया।कार्यक्रम में नगर के कई लोग उपस्थित हुए।

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