
एडवोकेट सचिन राजपूत
नई दिल्ली, 20 मई 2025 — कड़कड़डूमा कोर्ट में आगामी 24 मई को होने वाले चुनावों को लेकर वकालत जगत में राजनीतिक तापमान चरम पर है। इस बार लाइब्रेरी मेंबर इंचार्ज पद पर जो नाम सबसे अधिक चर्चा में है, वह है एडवोकेट सचिन राजपूत का। अपने सहज स्वभाव, प्रभावशाली कार्यशैली और वकीलों की समस्याओं को समझने की गहरी समझ के कारण सचिन राजपूत इस पद के लिए एक बेहद मज़बूत दावेदार माने जा रहे हैं।
शाहदरा बार एसोसिएशन, जिसमें कड़कड़डूमा कोर्ट के लगभग 5000 से अधिक अधिवक्ता सदस्य हैं, वहाँ से आ रहे संकेत यह दर्शाते हैं कि सचिन राजपूत को अधिवक्ताओं का जबरदस्त समर्थन प्राप्त हो रहा है। कोर्ट परिसर में कई वकीलों ने यह साफ तौर पर कहा है कि वे “चुपचाप वोट” के ज़रिए सचिन राजपूत को समर्थन देंगे। यह “साइलेंट वोट बैंक” किसी भी चुनावी रणभूमि में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
एडवोकेट सचिन राजपूत न केवल एक कुशल अधिवक्ता हैं, बल्कि उन्होंने कोर्ट की लाइब्रेरी से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों को पहले ही अपने एजेंडे में शामिल किया है। वे डिजिटल पुस्तकालय, बेहतर वाई-फाई सुविधाएं, वकीलों के लिए ई-बुक्स की उपलब्धता और बैठने की बेहतर व्यवस्था जैसे कई ठोस सुधारों की रूपरेखा प्रस्तुत कर चुके हैं। उनका कहना है, “लाइब्रेरी किसी भी कोर्ट की रीढ़ होती है। जब तक वहां ज्ञान, सुविधा और शांति नहीं होगी, तब तक न्यायिक प्रक्रिया भी बाधित होती है।”
शाहदरा बार एसोसिएशन में लंबे समय से लाइब्रेरी में सुधार की मांग की जाती रही है। ऐसे में सचिन राजपूत जैसे उम्मीदवार, जो युवा हैं लेकिन परंपरा की गहराई से जुड़े हैं, अधिवक्ताओं के बीच उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं। वे अनुभव और ऊर्जा का ऐसा मेल प्रस्तुत करते हैं, जो कड़कड़डूमा कोर्ट की जरूरत है।
चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि इस बार का मुकाबला बेहद दिलचस्प होगा, लेकिन सचिन राजपूत की लगातार बढ़ती लोकप्रियता और जमीनी पकड़ को देखते हुए उनकी जीत की संभावना प्रबल नज़र आ रही है। उनके समर्थन में न केवल वरिष्ठ वकील खुलकर आ रहे हैं, बल्कि नवोदित युवा अधिवक्ता भी उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं।
इस चुनाव में चाहे मुद्दा लाइब्रेरी का हो या कोर्ट परिसर की कार्यप्रणाली का, सचिन राजपूत ने अपने विचारों और विज़न से वकीलों के दिलों में खास जगह बना ली है।
अब निगाहें टिकी हैं 24 मई पर, जब मतपेटियों से निकलेगा वकीलों का जनादेश — और शायद, एक नए युग की शुरुआत।◆◆◆◆